औरत, आदमी और छत , भाग 12
भाग 12
मिन्नी बेसुध सी सो रही थी।मैने भी बस बेमन से ब्रेड के साथ सब्जी खा कर डिनर निपटा लिया था। रसोई समेट कर मैने थोड़ा कमरा भी समेट दिया था।मिन्नी को ही सोचते सोचते मुझे पता नहीं कब नींद आ गई थी
आज पता नहीं क्यों, बिना अलार्म के सुबह छहः बजे ही नींद खुल गई।सोचा आज मिंन्नी को नींबू वाली चाय पिलाती हूँ। उठ कर देखती हूँ तो मिन्नी तो है ही नहीं वहाँ पर।कहाँ ग ई होगी, इतनी सुबह ।उसकी तो तबीयत भी ठीक नहीं थी, सोचती हुई मैं ब्रश करने लगी। ब्रश करके मैं जैसे ही रसोई में
गई, देखा कि वहाँ तो चाय बनी हुई थी, क्योंकि डिब्बा सिंक में था,इस का मतलब मिन्नी मुझसे पहले की उठी हुई है।शायद नीचे हो,पर इतनी सुबह,अभी तो सामने का गेट भी बंद है। मै टैरस की तरफ चल पड़ी थी।
एक कोने में आसमान को देखती हुई खाली कप हाथ में।
मिन्नी तो यहाँ है, पर ये आसमान में क्या देख रही है।
क्या हुआ मिन्नी, कैसी तबीयत है।
वह एकदम पलटी थी, नीरजा ठीक हूँ, पहले से बहुत ठीक हूँ।
यहाँ क्या कर रही हो, मुझे जगा लिया होता।
अरे नहीं रे,थोड़ा घुटन सी हो रही थी,तो यहाँ आ गई।पर तुम इतनी सुबह कैसे उठी हो तुम्हें तो देर से उठने की आदत है।
वो तो है, पता नहीं आज कैसे इतनी जल्दी आँख खुल गई। मै तो तुम्हें चाय के लिए ढूढं रही थी।और मैडम यहाँ आसमान से इश्क लड़ा रही थी।
ये इश्क भी अजीब शै है ना नीरजा।
मिन्नी कुछ गंभीर लगी थी। मुझे उसकी इस गंभीर मुद्रा से जाने क्यों डर सा लगा था।
मुझे तो कुछ नहीं पता इस विषय के बारे में,पर तुम कुछ गम्भीर लग रही हो ,कहीं तुम्हें तो ये इश्क का रोग नहीं लग गया मिन्नी डियर।
पहले माइग्रेन तो ठीक कर लूं, फिर इश्क के बारे में सोचती हूँ।
चल तेरे लिए चाय बनाते हैं।
तुम आराम करो मैं बना लूंगी चाय।हाँ तुम्हें और नहीं मिलेगी, क्योंकि तुम पी चुकी हो,और ज्यादा चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
मैं नहा लेती हूँ तब तक, बहुत घबराहट हो रही है।
मिन्नी नहाने चली गई थी। मै चाय बना रही थी।तभी नीचे से चौकीदार आया था।मिन्नी मिन्नी।
चाचा नहा रही है वो,क्या हुआ।
वो आये हैं वीरेंद्र बाहर गाड़ी में है। कह रहे है कि डॉक्टर से टाइम लिया है जल्दी से आ जाये नीचे, वो चैक करवा देंगें।
अभी भेजती हूँ। आप बता दें कि वो नहा रही है।
मिनी जल्दी करो।
आ रही हूं क्या हुआ।
मिन्नी बाहर आ गई थी।
मिन्नी नीचे वीरेंद्र आये हैंं।तुम्हें चैकअप के लिए ले जाने के लिए।
पर इतनी सुबह? उसे किसने बताया।
कल फोन आया था उनका तो मैने ही बताया
था,उन्होंने तुम्हारे लिए जूस और लिम्का भेजी ,फोन नम्बर भी भेजा कि गर रात बेरात जरूरत पड़ जाये तो।
मिन्नी गीले बाल लपेटते हुए नीचे चली गई थी।
इतनी सुबह सुबह और फिर अब तो मैं बिल्कुल ठीक हूँ।।
एक बार चैकअप हो जायेगा तो पता चल जायेगा कि दिक्कत क्या है।
हॉस्टल में लोग क्या सोचेंगे, नीरजा क्या सोचती होगी ,कल तुमनें !
अब चुप करके बैठी रहो,ये मेरी सिरदर्दी नहीं है कि कोई क्या सोचता है,और क्या नहीं सोचता है।
न्यूरो अस्पताल में पहुंच ते ही मिन्नी का सीटी स्केन हुआ था।बीस मिनिट में ही रिपोर्ट आ गई थीडॉक्टर ने भीअपनी जाँच के बाद, और कुछ मिन्नी के हवाले के आधार पर माइग्रेन ही बताया था। दवा लिख दी थी, योगा आदि भी करने को कहा था, टेंशन आदि से दूर रहने को बोला था।
चलती दफ़ह डॉक्टर भी हँसने लगा था,मैने तो सोचा था,क़ोई बहुत सीरियस मरीज़ होगा।तभी आप इमरजेंसी टाईम में दिखाने के लिए लाएं होंगें।
रात को इन की तबियत बहुत खराब हो गई थी सर।
मिन्नी वापिस हॉस्टल आ गई थी।आते ही उसका वही पुराना रूटीन।
मिन्नी दवा वक्त पर लेती थी उसे इस दवा से आराम भी था। आधा नवम्बर चला भी चला गया था। ठंड अपने चरम पर थी। वीरेंद्र भी इन दिनों बहुत कम आ रहे थे,काफी दिन हो ग ए थे, पर मिन्नी की आँखे और कान जैसे दस्तकों के इतंजार में थे।
आज भी फोन के बुलावे पर मिन्नी भागकर गई थी,पर आती दफह उस के कदमों में वो फुर्ती नहीं थी।
क्या हुआ ,उदास क्यों हो, किस का फोन था।
अरे कुछ नहीं, कोई ऑफिस के काम का था।
खुल कर उसनें भी कुछ नही बताया था और मैं भी जैसे जान कर अंजान बानी हुई थी।
आज बहुत ही ठंड थी, ऑफिस से आते आते जैसे शाम ही गहरा गई थी। हॉस्टल के गेट पर पुलिस की दो गाडियां खड़ी थी।एक.और गाड़ी पर प्रेस भी लिखा था।अंदर बहुत भीड़ थी। मेरा दिल बैठ गया था क्या हो गया। मैं लगभग कदम घसीटती सी अंदर पहुंची थी।वहाँ क्या हो रहा है,ये सब बताने को शायद कोई जैसे था ही नहीं।
मैने बहुत हिम्मत करके एक पुलिस कर्मी जो गेट के पास खड़े थे उन से पूछा, सर ,क्या हुआ यहाँ, सब खेरियत तो है।
इस हॉस्टल में रहने वाली एक रिपोर्टर ने एक अनाथालय के नाम पर चल रहे सेक्स रैकेट का पर्दाफाश किया है बल्कि दो नाबालिग लड़कियों की जिंदगी भी बचाई है, वो भी अपनेआप को बहुत खतरे में डाल कर।
मिन्नी ने?
मृणाली नाम है उनका मैम।
मैं अंदर गई थी पर मिन्नी को नहीं देख पा रही थी।
मैं रास्ता बना कर उपर जाने लगी तो फोन की घंटी बज रही थी।वहाँ किसी को भी फुर्सत नहीं थी।मैने ही फोन उठा लिया।मेरे हैलो बोलते ही उधर से आवाज आई।मैम ये वर्किंग वीमेन हॉस्टल का नम्बर है।
जी।
आप कमरा नम्बर चालीस में से मिनी से बात करवा देंगी क्या प्लीज।
आप कोन?
मैं वीरेंद्र।
मैं नीरजा बोल रही हूं वीरेंद्र जी।
मिन्नी नहीं है क्या।
नहीं अभी तो नहीं आई है।मैने पता नहीं क्यों झूठ बोल दिया था।
नीरजा जी मैं इस नम्बर पर दो घंटे तक हूँ।वो आते ही मुझसे बात करे ,इधर से नम्बर ही नहीं लग रहा मैं बहुत परेशान हूँ।। कैसी है वो?
वो बिल्कुल ठीक है, आप नम्बर बतायें मैं बात करवा दूंगी।
मैं उपर आ गई थी।आधे घंटे के बाद ही मिन्नी उपर आई थी, सब लोग चले गए थे।
आय एम प्राऊड आफ यू मिन्नी डियर।
ये क्या औपचारिकता है नीरजा।
पर फिर भी यार जो तुमनें किया वो कोई भी नहीं कर सकता।
एक तो मेरा प्रोफेशन और दूसरा मैं एक लड़की भी हूँ,क्या तुम्हें ये लगे कि कोई किसी लड़की खासकर किसी बच्ची के साथ गलत हो रहा है तो तुम नहीं कुछ करोगी क्या।
पर तुम भी तो खतरे में थी यार।
खतरे से निकलने के लिए रास्ता तो थोड़ा रिस्की ही होता है डियर।
यार नीरजा चाय ही पिलवा दो तेज पती की,और मुझे मेरी दवा भी लेनी चाहिए, मुझे कुछ अच्छा सा नहीं लग रहा। सिर के आधे हिस्से में बहुत भारीपन है।
मुझे लगा कि पहले वो दवा खाले फिर ही फोन के बारे में बताती हूँ।।
उसने आँखों पर ठंडे पानी के छीटे डाले थे।दवा लेकर जैसे ही वो चाय पीने लगी मैने उसे बताया की वीरेंद्र का फोन था उस वक्त ,और वो फोन के लिए बोल रहा था नम्बर भी दिया हे।
मिल ग ई फुर्सत उसे फोन करने की।एकाएक उसके मुँह से निकल गया था।
वो कह रहे थे की इधर लाईन में बहुत दिक्कत है।
उसनें कप रखा ही था कि नीचे से फिर आवाज आई थी।
मिन्नी फोन है।
वो नीचे चली गई थी।लगभग बीस मिनिट में आई थी।
मैंने तब तक खाने की तैयारी कर ली थी।लड़कियाँ बार बार मिन्नी को पूछने आ रही थी।
अरे भाई मैने ऐसा कुछ नहीं किया है, मेरी जग़ह कोई भी होता तो वो ये सब अवश्य करता।
ठंडी रात गहराने लगी थी ,हम भी खाना खाने की तैयारी में थे,तभी वार्डन आ गई थी कमरे में
मिन्नी शाबास बेटा बहुत अच्छा काम किया तूने।
शुक्रिया मैम। आ जाओ दलिया खा लो।
नहीं खाओ तुम लोग। वीरेंद्र का फोन आया हुआ था,बात हो गई।
जी मैम हो गई थी।
बहुत दिन हो ग ए हैं आया नहीं हैं शायद बाहर गया हुआ है।
जी मैम ।
मिन्नी शायद इस जिक्र से बचना चाह रही थी।
खालो मैम थोड़ा सा।
अरे नहीं नहीं खाओ तुम लोग, सुबह मिलते हैं., वो वीरेंद्र का फोन आया तो मैने चौकीदार को बोला तो था कि मिन्नी को बुला दे।मैने सोचा पूछ आती हूँ, बात हुई क्या नहीं।और फिर शाबासी भी तो देनी थी अपनी छोटी बहन को ।
शुक्रिया मैम।
मैं वार्डन के ही बारे में ही सोच रही थी कि मैम कितनी मीठी बन जाती हैं न कभी कभी।
नीरजा तुम्हारे एक चाचा आसाम में हैं तुमनें बताया था,क्या कभी फोन मिलने में समस्या होती है,उधर से।
लगभग होती ही है।पर आसाम में कौन है?
वीरेंद्र गये हैं।
तुमनें वीरेंद्र को बताया अपने इस सांहसी कारनामे के बारे में
नहीं तो।
क्यों?
क्या जरूरत थी।
उस की इस बात से मैं चुप हो गई थी।मेरी चुप्पी के साथ खामोश रात भी बीत ग ई थी।
सुबह वही हमारी भागदौड़, मेरे उठने से पहले ही मिन्नी ने खाने की भी तैयारी कर ली थी।
हम इकठ्ठे ही आफिस़ गये थे।
शाम को बातों ही बातों में तथा जो आज मेरे आफिस़ में जिक्र चल रहा था कि मिन्नी को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जायेगा।
नाट ए बिग डील यार, दिस वाज माई डयूटी।
मिन्नी कुछ परेशान थी। कारण क्या था मैं नहीं जानती थी।
आज इतवार हैऔर इतवार को इस हास्टल की सुबह बहुत देर से होती है।
क्रमशः
औरत आदमी और छत
लेखिका, ललिताविम्मी
भिवानी, हरियाणा